MD’s Message

 

शीर्ष सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारी बैंक एवं ग्राम सेवा सहकारी समितियों की अविच्छिन्न संरचना पृथक पृथक दर्शित होने पर भी पृथक न होकर एकाकार के रूप में कार्यरत एवं सहसम्बद्ध हैं एवं जिनका समानुपातिक विकास अवश्यम्भावी है क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषकों की जमीनी हकीकत सहकारिता के माध्यम से ही आलोकित है तथा सहकारिता के माध्यम से ही सरकारी योजनाओं के लाभ जमीनी स्तर पर कृषकों को अन्तरित किए जा सकते हैं जिसका विकल्प कोई भी अन्य व्यापारिक संस्थान नहीं हो सकते हैं ।

मैं आप सबसे अपेक्षा करता हूं कि सहकारिता को भी अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय परिवर्तनों के अनुकूल स्थापित करने हेतु नवीन तकनीक से सुसज्जित करने में अंतः सहयोग करें ताकि कृषक विभिन्न लाभकारी योजनाओं से लाभान्वित होकर अपने जीवन स्तर में यथोचित वृद्धि करते हुए स्वावलंबी बन सकें।

जय सहकार ।

बलविन्दर सिंह गिल
प्रबंध निदेशक